Wednesday, August 11, 2010

हमारा लक्ष तब तक हमें प्राप्त नहीं हो सकता, जब तक हम उस लक्ष को पाने का दिल से प्रयास नहीं करते. हम तय करते है की मुजे बड़ी गाड़ी चाहिए, बड़ा बंगला चाहिए, बहोत सारा पैसा चाहिए जिसे मै जब चाहे जैसा चाहे खर्च कर सकू. यह हमारा लक्ष तभी हो सकता है जब हम इस लक्ष के बगैर अपनी जिन्दगी की कल्पना नहीं कर सकेंगे. अगर आप सोचते है की मिला तो मिला नहीं तो कोई बात नहीं, तो इसे आपका लक्ष नहीं कहा जा सकता. लक्ष तो वो होता है जो न मिलने की कल्पना मात्र से दिल में कपकपी दौड़ जाये. अगर ऐसा होता है तो देखिये वो लक्ष कैसे पूरा होता है.
अब आप कहेंगे ऐसा तो कोई लक्ष मेरे पास नहीं है ? लेकिन अगर मुजे ऐसा कोई लक्ष मेरी जिंदगी में तय करना है तो मै उसे कैसे तय करू ?
कोई भी लक्ष बिना आसिम प्यार और आसिम नफरत के बिना तय नहीं किया जा सकता.

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